ह्रास (Depreciation) के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं :-
- सम्पत्तियों के प्रयोग के कारण उनमे टूट-फुट होती है, घिसावट हो जाती है और वे पुरानी एवं कमजोर हो जाती हैं। फलतः उनके मूल्य में कमी आ जाती है।
- कुछ सम्पत्तियाँ ऐसी होती हैं जिनका काल निश्चित होता है। अतः जैसे-जैसे समय व्यतीत होता जाता है, उनके मूल्य में कमी होती रहती है.ऐसी सम्पत्तियों के मूल्य में कमी को समय बीतने पर ह्रास कहते हैं।
- कभी कभी नए आविष्कार के कारण पुराणी सम्पत्तियो के बीकर न होने के बावजूद उसके मूल्य में कमी आ जाती है। इस हानि के अप्रचलन को ह्रास कहते हैं।
- कुछ सम्पत्तियाँ नाशवान प्रकृति की होती हैं, जैसे - खनिज खदाने, जंगल, तेल के कुँए आदि अर्थात प्राकृतिक सम्पदाएँ। ऐसी सम्पत्तियों में से जैसे-जैसे सामग्री निकाली जाती है, वैसे-वैसे इनके भण्डार में कमी होती जाती है। भण्डार खली होने के इस कर्म को रिक्तीकरण कहा जाता है। इस प्रकार रिक्तीकरण ह्रास का कारण है।
- कभी-कभी संपत्ति के बाजार मूल्य में गिरावट आ जाती है। इस प्रकार मूल्य में कमी को ह्रास माना जाता है।